Author: kukhyaat lakhnawi
•11:02 PM
धुंध में भी दिखता है तुम्हारा लहराता हुआ आँचल
सिलेंडर बुक कराना है तू भी मेरे साथ चल

हवा में डोले ऐसे पतंग मानो हिरनी कोई जंगल में भटके
किसे पता था तेरे प्यार में पड़ेंगे इतने फटके
जा दूध लेकर आ

बनियान आज भी मैली है संकोच मत करो
मुझे भुट्टे का ठेला लगाना है

जिंदगी के इस दोराहे पे जो मन चाहे करो
शराब पीना हानिकारक है जानम समझा करो

अच्छा चलता हूँ बाय
Author: MCA KNIT
•8:26 PM
आप सभी को जानकर अपार हर्ष होगा की आपके चहीते, शायरी के सरताज कुख्यात लखनवी अपनी नयी शाहकार "छनकती पायल की गूँज" अतिशीघ्र प्रकाशित करने जा रहे हैं ...आप अपना समय तुंरत सुरक्षित कर लें

- Jai Ho
Author: kukhyaat lakhnawi
•10:47 PM
आज तेरी याद फिर इन पेशानियों पे लहराई
जैसे ट्रक का टायर हवाई जहाज़ में लगाई

प्यार इन आँखों में आज भी है
मानो या न मानो

दुनिया के निगाहों से तुझको छुपाया है
जैसे कबूतर का अंडा

आज फिर जीने की तमन्ना है
तो जीले अपनी ज़िन्दगी

बस चलता हूँ
ओके बाय
Author: MCA KNIT
•9:28 PM
नमस्कार दोस्तों वैसे तो यह लेख मैं अपने ब्लॉग मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति पर पहले से लिख चुका हूँ किन्तु आप सभी के लिए मैं यहाँ पुनः लेकर प्रस्तुत हुआ हूँ ...तो आप इसे पढिये और अपनी राय दीजिये

याद है तुम्हें जब तुम कहा करती थीं कि चाहे जो हो जाए ...हम दोनों यूँ ही एक दूसरे से प्यार करते रहे या न रहे ...हम मिले या बिछुडे ...लेकिन में तुम्हे यूँ ही हर रोज़ एक मेल जरूर करुँगी ....हाँ शायद याद हो तुम्हें ...हाँ याद ही होगा
और मैं थोडा सा मुस्कुरा जाता था तुम्हारी इस बात पर ....शायद वो प्यार था तुम्हारा मेरे लिए जो ये सब कहता था ....कितना चाहा तुमने मुझे ...सच बहुत ज्यादा ...

याद है मुझे जब तुम रो पड़ी थी ...कई दिन मुझ से न मिल पाने के कारण .... कैसे चुपाया था मैंने तुम्हें ...पास जो नहीं थी तुम .... उस पल तुम्हारी आँखों के आँसू महसूस किये थे मैंने ...दिल तो किया था कि तुम्हें सीने से लगा लूँ ...बाहों में भर लूँ ....और कहूँ ....पगली ऐसे भी कोई रोता है ....मैं तो हर पल तुम्हारे साथ हूँ ...तुम्हारी बातों में, यादों में ....उस नरमी में जो तुम महसूस करती हो हमेशा ...ऐसे जैसे तुम मेरे सीने से लिपटी हुई हो ....फिर तुम यूँ रोया न करो .....

उस पल कितना मुश्किल हो गया था तुम्हें मनाना ....शायद बहुत मुश्किल .....और तुम कहने लगी थीं ....तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊँगी ....मुमकिन नहीं शायद तुम्हारे बिना जीना ....और उस पल तुमने मुझे भी रुला सा ही दिया था .....मुझे पता है कैसे झूठ मूठ का हँस दिया था मैं .....और तुम बोली थी जाओ मैं बात नहीं करती तुमसे ....तुम हमेशा ऐसे ही करते हो

याद है मुझे तुम्हें मुझसे एक दिन की भी दूरी बर्दाश्त नहीं होती थी ...आज यूँ लगता है कि सदियाँ गुजर गयी हों ...कहने को अभी 1 साल ही हुआ है ....ऐसा शायद ही कभी हुआ हो जब तुम बिना मुझसे बात किये रह पायी हो ....कितना गहरा था हमारा प्यार और हमारा रिश्ता ....मैं आज भी तुम्हारे हाथों की गर्मी महसूस करता हूँ अपने हाथों में ....और लगता है कि तुम यहीं कहीं हो मेरे पास ....अचानक से ही कोई हँसी गूंजती है मेरे कानों में .....क्या तुम आज भी खुश हो .....खुश हो न तुम ......तुम खुश हो अगर तो मैं समझूंगा कि में जी लूँगा यूँ ही इस कदर ...शायद तुम्हारी यादों को याद कर कर के .....तुम्हारी आँखें अभी भी मेरी आँखों में देखती नज़र आती हैं .....जब तुम आँखों से आँखों में देखते रहने का खेल खेलती थी ....कितना पसंद था तुम्हें वो खेल .....और तुम्हें जीत कर खुश होते देख मैं कितना खुश होता था ...हर बार तुमसे यही सोच हारा हूँ मैं .....

मोहब्बत अपने आप में एक सुकून होती है ...एक ऐसी चाहत जिसको पाने की चाहत एक नशा बन जाती है ...और हर रोज़ , हर पल हम उस नशे में रहते हैं ....मोहब्बत पा लेने भर का नाम नहीं ...मोहब्बत में जो हो उसे मोहब्बत लफ्ज़ से भी मोहब्बत होती है ....

इंसानी दुनिया शायद समझती भी है और नहीं भी ....ये मिलावटें और नासमझी दो लोगों को जुदा कर देती है ...कभी कभी खुद इंसान अपनी गलती से मोहब्बत खो देता है ...फिर उसके पास कोई नहीं होता पर जिसने सच्ची मोहब्बत की हो वो जिंदगी भर उस नशे को महसूस करता रहता है ...कभी ख़ुशी के रूप में तो कभी उसे गम बनाकर

याद है न तुम्हें... जब मैंने तुमसे ये बातें कही थीं ...और तुम बोली थी कि तुम्हें तो किसी फिल्म का डायलोग राईटर होना चाहिए था ...उस पल कितना हँसा था मैं ...फिर तुमने मेरा गला पकड़ लिया था ....

इस दुनिया में इंसान ने जाति और धर्म की दीवारें खड़ी कर दीं ...देखा तुम जिन बातों पर हँसती थी ....आज उन्हीं दीवारों को तुम पार न कर सकीं ....उन्ही दीवारों ने हमारे बीच एक फ़ासला तय कर दिया ....

मैं आज भी तुम्हारे किये हुए वादे के सच होने का इंतज़ार करता हूँ ...कल रात तुम आई थी मेरे ख्वाबों में हकीकत बन कर ...पर आँख खोलने पर तुम न थी ...आजकल तुमने ये नया खेल शुरू कर दिया है ... हर रोज़ ये सोच कर सुबह उठता हूँ कि कहीं तुम्हारा मेल तो नहीं आया ... किसी दिन अगर तुम्हारा सवाल आया तो ...कह सकूँ कि तुम्हारी साँसों को मैं आज भी महसूस करता हूँ

तुम्हें सर्दी में भी पंखा चलाकर सोने की बुरी आदत है ...आजकल मौसम बदल गया है .....अपना ख्याल रखना .....
Author: MCA KNIT
•7:04 PM
आओ तुमको लेकर चलूँ
जहाँ भूख है, लाचारी है
गरीबी है और उन्हें ख़त्म करने के
झूठ मूठ के वादे हैं

जहाँ बंद किसी कमरे में
कर्जा ना चुका पाने पर
मुर्दा किसानों की
पंखे से लटकी लाशें हैं

जहाँ हर पल ही
पाँव फैलाती
ढेर सारी बीमारी हैं

जहाँ बाढ़ है, सूखा है
और उस पर दिया हुआ
राहत पैकेज है

जहाँ जात-पात और धर्म की
झूठी शिक्षा देने वाले लोग हैं

जहाँ मंदिर बनाने के लिए
चन्दा इकठ्ठा किया जाता है
पर एक अदद स्कूल का
नाम तक जुबान पर नहीं आता

जहाँ क़र्ज़ है
और उस पर भी लगता
साहूकारों का ब्याज है

जहाँ पानी की प्यास है
और उस पर दूर से
आती दिखती
मौत की आस है

आओ तुम्हे लेकर चलूँ ...

तब शायद
ये बात दूर तक जाये
Author: MCA KNIT
•11:52 AM
अक्सर मैंने तुमको देखा
आते जाते मेरे ख्यालों में .

खुली हुई मेरे कमरे की खिड़की
हवा के झोंके से एक आहट देती है मुझको

एका एक ही उस आहट से
खामोशी टूट कर
कुछ कहती है मुझसे ।

कहती हैं क्यूँ ना जाने
रिश्ता है कुछ मेरा तुम्हारे ख्यालों से ।

देर तलक ही यूँ ना जाने कितने दिन
सोच में तुम्हारी बिताये हैं मैंने ।


कहना भी चाहूँ तो ना कह पाऊं
रिश्ता है ऐसा मेरा
इन आते जाते ख्यालों से ।

एक मीठी सी चुभन
अक्सर मुझको होती है
जब तेरी याद की बारिश की बूँदें
आकर मुझे भिगोती हैं ।

मैं तन्हा यूँ ही
खामोशी मैं
तुम्हारे होने की
उम्मीद लगाता हूँ .

पास ना होकर भी मेरे
पास होने का
एहसास कराती हो

अक्सर मेरे ख्यालों में
आती जाती हो ....
Author: MCA KNIT
•11:38 AM
कहते हैं सच्चा प्यार कभी नहीं मरता ...वो हमेशा जिंदा रहता है ....इंसान मर जाता है लेकिन प्यार नहीं मरता ....कितना अच्छा लगता है ये सब सुनना .....हो सकता है ये संवाद (Dialogue) किसी फिल्म में बोले गए हों .....पर माफ़ करना ऐ दोस्त क्या वाकई ऐसा होता है

मैं तो चलो बहुत पीछे हूँ आशिकों की कतार में ...पर उनका क्या जिसे एक नहीं, दो नहीं पूरे तीन तीन बार सच्चा प्यार हुआ .....मतलब उनकी तीन सच्चे प्यार की कहानियाँ सुनी जाया करेंगी .....

जैसे की जब उन्हें पहली बार सच्चा प्यार हुआ तो खूब जोरों से हुआ .....लड़की की एक झलक पाने की खातिर उन्होंने क्या क्या पापड नहीं बेले ....कॉलेज बस में तभी चढ़ते जब उनकी महबूबा उसमें होती ...वगैरह वगैरह .....और जब लाइब्रेरी की सुनसान गलियों और खामोश किताबों के दरमियान उन्होंने इजहारे मोहब्बत किया तो लड़की ने ये कह उनके प्यार को अमर कर दिया कि हम दोनों अलग अलग जाति के हैं तो ये संभव नहीं ...मैं अपने परिवार कि ही मर्ज़ी या अपनी ही कास्ट के लड़के से शादी कर सकती हूँ ....तब हो सकता है कि किताबों कि रूह पर एक नया अध्याय फिर से जुड़ गया हो कि प्यार तो मर सकता है किन्तु जाति प्रथा और जाति के बारे में विचार कभी नहीं मर सकते ....

चलो एक बार इंसान गलती करके सुधर जाता है ...लेकिन फूटी किस्मत उन्हें दोबारा सच्चा प्यार हो गया ...उस मोहल्ले की लड़की से जहाँ रह वो इंजीनियरिंग कर रहे थे .....चलो इस बार पूरी दीन दुनिया से बेखबर हो लड़की ने उनका प्यार कबूल किया और फिर दोनों ने प्यार के सागर में गोते लगाये .....पर बेचारी किस्मत बेचारा आशिक इस बार भी मारा गया ...राजपूत लड़की से प्यार कर बैठा ....जिसके बाप कि कंपनी भी थी ....उसके बाप ने अपनी पॉवर का इस्तमाल करते हुए वहां के कुछ लोकल गुंडों की सहायता ले ऐसा खदेडा कि जिंदगी भर वो प्यार याद रहेगा ....

वो तो भला हो हम जैसे दोस्तों का जिन्होंने वक़्त पर खबर मिलते आशिक दोस्त को रफूचक्कर कर दिया और बाद में आशिक दोस्त के बदले वो गुंडे हमे लपेटे में ले गए ...और हमे खूब धुना ...पर कसम से हमने जुबान नहीं खोली ...वरना ना जाने आशिक दोस्त का क्या होता ...एक तो अपना सूजा हुआ गाल लेकर १५ दिन तक उस प्यार का शोक मनाता रहा .....बाद में लड़की ने ये कह दिया कि मेरे माता पिता की इज्जत है ...और उनके खिलाफ जाकर में तुमसे इस प्यार को आगे नहीं बाधा सकती और न ही शादी कर सकती ......क्योंकि तुम्हारी और हमारी जाति अलग है .....

दोस्तों ने मिस्टर आशिक दोस्त को समझाया कि ओ भैये तुझे अपनी ही जाति में (लड़का अनुसूचित जाती का था) कोई लड़की नहीं मिलती मरण के वास्ते .....प्यार करने के वास्ते .....फिर ये दूसरे मामले ने इतना टूल पकडा कि मामला एम.एल.ए तक जा पहुंचा ...और जैसे तैसे लड़के के पिताजी ने अपने जिले के . एम.एल.ए की सहायता ले मामला रफा दफा किया ...बेचारे इस प्यार के चक्कर में घर में थू थू हुई इज्जत की सो अलग ....

और फिर भी ना माने ये आशिक महोदय ...तीसरी बार भी ये सच्चा प्यार कर बैठे .....लड़की भी दिलो जान से फ़िदा थी इन पर और दोनों ने खूब दिल खोल कर प्यार किया ...खूब मिले , फिल्में देखीं, साथ खाना खाया और प्यार की पींगें बढायीं .....पर गलती इस बार भी हो गयी ...भाई साहब इस बार भी दूसरी जाति की लड़की से प्यार कर बैठे .....अब हो गया न बेडा गरक ....लड़की के माँ बाप और भाइयों ने लड़की के मार पीट कर हाथ गोड इकट्ठे कर दिए .....और तमाम धमकियों के साथ मरने मारने की कसमें खा डाली .....लड़की को ऐन वक़्त पर याद आ गया कि वो अपने परिवार से ज्यादा प्यार करती है .... लड़के का सच्चा प्यार रोने लगा और खुद से ही कहने लगा ....ये तो कोई बात नहीं हुई .....फिर सच्चा प्यार कैसे करते हैं

एक मेरे अन्य मित्र हैं इन्होने चन्द दिनों में अपने ऑफिस की लड़की से प्यार की पींगें बढा ली ...और एक दिन लड़की को अपने कमरे पर ले जाकर उसकी रजामंदी सहित प्यार पूरा कर लिया ....और बी प्रैक्टिकल के कागज़ में लपेट कर कंडोम को कूडेदान में फेंक दिया .....कुछ दिनों तक बी प्रैक्टिकल के प्यार को चला दोनों ने एक दूसरे को भरपूर प्यार किया और कई सारे बी प्रैक्टिकल के कागज़ कूडेदान में डाले .....फिर एक दिन बी प्रैक्टिकल के नाम पर दोनों ये कहकर अलग हो गए कि शायद हमारा रिश्ता चल नहीं सकता .....

एक दिन हमारा ये दोस्त उसी लड़की से एक मॉल में टकरा गए ...लड़की अपने नए बॉय फ्रैंड के साथ थी और ये अपनी नयी गर्ल फ्रैंड के साथ .....फिर दोनों ने एक दूसरे से मिल हाई हैलो किया ...एक दूसरे के गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रैंड से परिचय करा आगे बढ़ गए ......कमाल है भाई ये बी प्रैक्टिकल .....चलो इसमें जाति प्रथा तो नहीं आई ...ना ही लड़की को अपने माता पिता की इज्जत की चिंता हुई ......

एक मेरे अन्य मित्र हैं जिनका पिछले 8 साल से अफेयर चल रहा है और उनकी अभी शादी नहीं हुई ...वो दोनों एक दूजे से ही प्यार करते हैं ...हलाँकि जाति अलग अलग है ....पर रो पीट कर लड़की के घर वाले इस लड़के से शादी के लिए राज़ी हो गए .....अब कोई परेशानी भी नहीं फिर भी शादी नहीं हुई ....पहले लड़के पर जॉब नहीं थी तो परेशानी ....जब लड़के को जॉब मिल गयी तो लड़की अपनी जॉब के माध्यम से विदेश जाने की चाह की खातिर ....और अच्छी रकम कमाने की खातिर सच्चे प्यार को शादी का इंतज़ार करा पूरे 1 साल के लिए विदेश के टूर पर निकल ली .....सच्चे प्यार को छोड़ ऑस्ट्रेलिया चली गयी ....हाँ बात तो होती है दोनों की ...और लड़की ख़ुशी ख़ुशी वहां पर दोस्तों के साथ खिचाये फोटो भी दिखाती है ...बहुत खुश है वो ....

खुला माहौल है न वहां तो मिनी से भी मिनी स्कर्ट और जींस के ऊपर दिखने वाली चड्डी की फोटो भी खिचती है और ख़ुशी ख़ुशी फूली नहीं समाती है .....और अपने इस सच्चे प्यार को दिखाती है ....फिर इस लड़के को वो कही हुई बात याद आती है कि जब उसने इसी अपनी महबूबा से कहा था चलो 2-4 दिन के लिए शिमला घूम कर आते हैं ...तब बोली थी कि घरवाले क्या सोचेंगे ...वो क्या कहेंगे .....अब बार में जाकर दोस्तों के साथ वहां दारू भी पी लेती है ....डांस वगैरह ....अब भाई खुले महाल में गए हैं तो लुत्फ़ तो उठाना चाहिए ......अब इंडिया में इतना आसान कहाँ ये सब .....फिर कभी कभी अपने सच्चे प्यार से बीच बीच में लडाई भी होती है ......और कह उठती है कि मेरी अपनी भी कोई प्राइवेट लाइफ है ....पर कोई गल नहीं जी ...8 साल का प्यार है तो टूटने वाला नहीं इतनी आसानी से .....कोई फिक्र नहीं जी शादी तो हो ही जायेगी ...जल्दी क्या है ...आखिर सच्चा प्यार जो है ......

फिर एक दिन बैठा मैं इन सच्चे प्यार बनाम बी प्रैक्टिकल की थ्योरी समझने की कोशिश कर रहा था .....फिर वो पंक्ति याद आ गयी कि सच्चा प्यार कभी नहीं मरता .....हाँ हाँ भाई किसी फिल्म का संवाद (Dialogue) भी हो सकता है :) :).....पर क्या वाकई ऐसा होता है